बता दूं क्या ?
बता दूं क्या ?
जो दबी हैं दिल में बात मेरे,
वो बात तुम्हें बता दूं क्या ?
हैं तुमसे मुझे कितनी मोहब्बत,
ये ज़माने को मैं दिखा दूं क्या ?
हूं बेगुनाह,
हर गुनाह में अब तक,
तुम कहो तो, ख़ुद को
गुनहगार बना लूं क्या ?
सुरमई सी हैं जो आंखें तुम्हारी,
इनके वो सारे अश्क चुरा लूं क्या ?
बेचैन करके दिल को तुम्हारे,
ये धड़कने भी आज बढ़ा दूं क्या ?
लबों से सी के लब वो तुम्हारे,
मय के मैं प्याले पी लूं क्या ?
कसके तुम्हें बाहों में अपनी,
ख़ुद को तुम में बसा लूं क्या ?
लगी है जो आग मेरे दिल में,
वो दिल में तुम्हारे लगा दूं क्या ?
चुरा के तुमको ही मैं तुमसे,
तुमको अपना बना लूं क्या ?
साथ तुम्हारे जीवन भर का,
मैं सपना दिल में सजा लूं क्या ?
मैं ख़्वाबों में सोच कर तुम्हें,
नींदें भी अपनी उड़ा लूं क्या ?

