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Mohit Kothari

Others

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Mohit Kothari

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इश्क़ एक अमानत

इश्क़ एक अमानत

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गर इश्क़ की सब पे इनायत होती

और सिर्फ़ ख़ुदा की क़यादत होती,


तो जुदाई की ना कोई रिवायत होती,

किसी के दिल को भी ना कोई शिकायत होती,


गर दिल से इश्क़ की सच्ची इबादत होती

तो ना किसी को कभी कोई कैफियत होती,


हर चीज़ में सब को सहूलियत होती

गर सबके पास मासूमियत होती,


तो हमेशा सबकी खैरियत होती

गर सबको एक दूजे कि अहमियत होती,


तो फिर ये दुनिया जन्नत होती,

गर दिल नाम की ना कोई अमानत होती,

तो ना कोई क़ैद, ना ज़मानत होती।


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