STORYMIRROR

Mohit Kothari

Others

2  

Mohit Kothari

Others

खिले गुलाब सा इश्क़

खिले गुलाब सा इश्क़

1 min
217

वक़्त चला है आब सा, जो हमेशा रहता शिताब सा

कभी ना हुआ जो ताब सा, आंखों में हैं एक ख़्वाब सा,


दिल लिए मैं नाव सा, हौसला भरा एक शाब सा,

लफ्ज़ कहूं में राब सा, जिसमें नशा है शराब सा,


बरसे नैन सहाब से, हुए जो सवाब सा,

इश्क़ किया था मैंने भी तुमसे, एक खिले गुलाब सा ।


Rate this content
Log in