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Mohit Kothari

Others

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Mohit Kothari

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किस्सा

किस्सा

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ऐसा कुछ किस्सा सुनाती हमको हमारी दादी है,

ये बात नहीं है आज की ये बात ज़रा शुरुआती है।


जब देश था गुलाम और हमें मिली नहीं आज़ादी थी,

हर जगह डर और ज़ुल्म की छाई हुई लाचारी थी।


वो कहती के तब इस देश में हुए कुछ ऐसे हादी थे,

जिनके हौसले और इरादे हुआ करते बिल्कुल फ़ौलादी थे।


जिन्होंने मिलकर दिलाई हमको ये आज़ादी थी,

ख़तम हुई हम पर से तब उन गोरों की जल्लादी थी।


जिनकी वजह इस देश की हो रही बर्बादी थी,

ख़ुश हुई तब भारत की ये दबी कुचली आबादी थी।


उन वीर बलिदानियों की सच्ची ये कहानी है,

हमको मिली ये आज़ादी उसकी ही एक निशानी है।


पर हम लोग आज फिर से खो रहे अपनी ये आजादी हैं

जो हो रहे हम फिर से उन विदेशी चीज़ों के आदी हैं।


ये हो सकता देश के भविष्य के पतन का बादी है,

कर रहे जो हम फिर से खुद की ही जाने क्यों बर्बादी है।

क्या इसीलिए उन वीरों ने दिलाई हमको ये आज़ादी है?


देश के हर फौजी के दिल से, आती ये आवाज़ है,

के ना हम हिन्दू , ना मुस्लिम, ना ही कोई सिख, ईसाई हैं।

 

बस हम सब हैं भारतीय, और भारत की धरती ही हमारी माईं है

ना झगड़े हम किसी से, जब सभी इंसान हमारे भाई हैं।


भारत ने तो सबको सदा, प्यार की भाषा सिखाई है,

आज उसकी आज़ादी की सालगिराह पे, हमने ये कसम खाई है।


के झुक कर करेंगे स्वागत सबका, जब भी किसी ने देश में हमारे,

मेहमान के रूप में शिरकत लाई है।


पर हम तबाह कर देंगे हर उस दुश्मन को,

जिसने हमारे वतन की इज़्ज़त पे,

कभी जो अपनी नापाक आँख उठाई है।


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