बस्ती
बस्ती
लोगों के इस बस्ती में लोग
अब दिखते नहीं रात के इस सुनसान राहों पर
रहनुमा कोई गुजरता नहीं
पूछते हैं नाम मेरा है जो
अजनबी जान कर भी संग वो चलते नहीं
दौलतें तो कमाई बहुत पर
दिल खाली रह गया
हर शख्स अपने शोर से बाहर निकल न पाया
लोगों की इस बस्ती में लोग गुमशुदा हो चले
रिश्तो के धागों को उलझाने में शामिल हो चले।