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Ambika Dubey

Abstract

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Ambika Dubey

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बस थोड़ी देर और रुको

बस थोड़ी देर और रुको

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बस थोड़ी देर और रुको

होगी सुबह भी बहुत जल्द,

बस थोड़ी देर और रुको,

छटेगा तिमिर घना अंधियारा,

बस थोड़ी देर और रुको,


देखो सुबह की ललाई दिख रही,

तुम्हारे समर्पण और उत्साह में,

हित उपवन का खिल रहा,

हमारे एकता की राह में,

अदृश्य दुश्मन का प्रतिघात हमें,

जरा सा भी विचलित ना कर पाएगा,


है पथ प्रदर्शक साथ हमारे,

 मोदी और योगी जैसा,

जो हर कसौटी पर हमें,

हरा भरा और उत्साहित ही पाएगा,


उम्मीदों का दामन थामे,

और उन पर विश्वास लिए,

बस थोड़ी देर और रुको,

हर बीमारी, हर महामारी ,

निस्तब्ध देखती रह जाएगी,


हमारी एकता और समर्पण,

हर दुश्मन को आघात और,

प्रतिघात देकर भगाएगी,


शगुन का रथ खड़ा है देखो,

स्वतंत्रता का अधिकार लिए,

हर हिन्दुस्तानी से है विनती,

बस थोड़ी देर और रुको।


बस थोड़ी देर और रुको।


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