सपना सच या फ़साना
सपना सच या फ़साना
मेरी बिखरी ज़िन्दगी में आप का आना,
मुझ जैसे तड़पते पपीहा को आपको
सावन जैसा पाना,
जहां ज़िन्दगी से चाह खत्म हो चली थी,
वहां इतना ज्यादा प्यार भर जाना,
इसे क्या कहूं ? सपना, सच या फ़साना,
सारे सपने आपने कर दिए पूरे,
अब तो ज़िन्दगी में कुछ भी नहीं अधूरे,
मेरी खुशकिस्मती जो आप मेरी ज़िन्दगी में आए,
धीरे धीरे करके मेरे सारे सोए सपनों को जगाया,
फिर उन सपनों को पूरा करके
मुझे जीने का मतलब समझाया,
इसे क्या कहूं? सपना, सच या फ़साना,
अब तो ज़िन्दगी से कोई चाह नहीं,
एक आपके प्यार के अलावा और कोई राह नहीं,
बस आप में जीना चाहती हूं,
आपके प्यार को जी भर पीना चाहती हूं,
मेरी जैसी खुशहाल और होगा ना कोई,
बस आपके प्यार में ही रहती हूं खोई,
इसे क्या कहूं? सपना, सच या फ़साना।।