बस मन होता है
बस मन होता है
बस
मन होता है
यूं ही चलता चलूं,
हर फिक्र को
धुंए में उड़ाता चलूं,
ना हो साथ किसी का
मुझे गम नहीं,
कोई साथ रहे ना रहे
मुझे फिक्र नहीं,
बस चुपचाप
खुद में
गुम होकर,
अपनी एक अलग
धुन में रहकर
यादों को संभाले,
बिना शोर शराबा
दूर कहीं ठंडी छांव में,
ख़ामोश बादलों के साए में,
बहते पानी की धाराओं में,
सुकून के दो पल
जिसमे मैं
और मेरी तन्हाइयां,
दूर फैली ख़ामोश
वादियों मे,
आपस में बैठे
घंटों बतियाते,
एक दूजे संग
साथ बिताते,
दुनिया से दूर
बिना खौफ
बिना चिंता,
एक दूजे के अकेलेपन
को साझा करते,
उठते बैठते
प्रकृति संग
हसीं ठिठोली करते,
अपनी अलग दुनियां में मस्त
मग्न हो,
एक नई दुनियां
बसाते,
जहां बस
एकाकीपन हो,
शांत वादियों मे
ख़ामोश बिचरता मन हो,
मेरे अपने
आगोश में।
