बस माँ कहलाती है
बस माँ कहलाती है
अपने-आप से ज्यादा
ध्यान पूरे परिवार का रखती है।
पति की बीमारी हो या घर की जिम्मेदारी,
सब कुछ सहजता से निभा जाती है।
वह तो बस माँ कहलाती है।
जल्दी उठ देर तक सारे काम,
खामोशी से वह निपटाती है।
बीमार होने पर घरेलु इलाज के द्वारा,
दर्द वह अपना मिटाती है।
हो गर बच्चे बीमार तो,
डॉक्टर को वह खुद बुलवाती है।
सच में वह बस माँ कहलाती है।
पेपर अच्छा जाये बच्चों का इसलिए,
ईश्वर को प्रसाद रोज चढ़ाती है।
बच्चों को डाँट-डपटकर
अक्सर खुद भी आँसू अपने बहाती है।
वह तो बस माँ कहलाती है।
देर हो जाये घर आने में यदि बच्चों को तो
नींद को अपनी आँखों से ओझल कर जाती है।
बच्चों की ख्वाहिशों के आगे अपनी
इच्छाओं की बलि वह चढ़ाती है।
वह तो बस माँ कहलाती है।
तुलसी चौरे पर जल चढ़ा,
सारे व्रत-उपवास वह निभाती है।
वह तो घर की माँ
बस माँ ही कहलाती है।