बस हुए जा रहा था..
बस हुए जा रहा था..
न उनको खबर थी, न हमको पता था
"खामोशियों" का भी ये क्या सिलसिला था !!
शब्द ये "सिमटकर" कुछ तो जता रहे थे,
मैं कुछ न "बोली", क्या वो "सुने" जा रहा था !!
"हुआ" क्या ये ऐसा, बस हुए जा रहा था,
"खोजती" थी जिसको, वो साथ चल रहा था!!
भूली सी एक कविता थी अब तक कहीं मैं
इश्क सा वो पहला, मुझमें जीये जा रहा था !!

