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Babita Consul

Romance

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Babita Consul

Romance

बरसो मेघा

बरसो मेघा

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मेघा बरसो

रिमझिम रिमझिम

मेघा रे ! मेघा रे।

तुम्हारी घड़घड़ाहट देती है,

संदेश !


संग चमकती ,चंचला !

आषाढ़ में तुम्हारे आने का !

ना जाने कितनी बार 

तुम संदेश देकर चले गये !

मेरी तिशनगी !


ख़ामोशी से करती है 

इज़हार ,तुमहारे इन्तज़ार का !

कब से तपाती, तन, मन !

तप रही है ताप से,

संग उपवन, पुष्प, लताएँ,

जन जीवन !


बरसा दो कुछँ शीतल 

जल गुहर !

मिटा दो इस ताप को !

हो जाये सब तृप्त !

मिट जाये ये प्यास !

मेघा रे !


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