बरसो मेघा
बरसो मेघा
मेघा बरसो
रिमझिम रिमझिम
मेघा रे ! मेघा रे।
तुम्हारी घड़घड़ाहट देती है,
संदेश !
संग चमकती ,चंचला !
आषाढ़ में तुम्हारे आने का !
ना जाने कितनी बार
तुम संदेश देकर चले गये !
मेरी तिशनगी !
ख़ामोशी से करती है
इज़हार ,तुमहारे इन्तज़ार का !
कब से तपाती, तन, मन !
तप रही है ताप से,
संग उपवन, पुष्प, लताएँ,
जन जीवन !
बरसा दो कुछँ शीतल
जल गुहर !
मिटा दो इस ताप को !
हो जाये सब तृप्त !
मिट जाये ये प्यास !
मेघा रे !

