ब्रह्मांड
ब्रह्मांड
समस्त संसार का ज्ञान किताबों में है
बिना ज्ञान के संसार निरार्थ है
ये बोल महादेव के है
बस बोल हम रहे हैं ।
खुशियां मिले हमें जहां से
ऐसा एक जहां बनाना है
ब्रह्माड के तारों की तरह
हमें भी आसमान में चमकना है।
किताबों जैसा है ब्रह्मांड
ज्ञान से यह है भरपूर
लेना तुम किताबों से ज्ञान भरपूर
ना ले पाए ज्ञान अगर हो जाओगे चूर-चूर।
डमरू वाले कहते हैं
यह समस्त ब्रह्मांड मेरा है
हम तो इतनी विनती करते हैं
हे भोलेनाथ तू बस मेरा है।
