STORYMIRROR

Nandita Tanuja

Abstract

3  

Nandita Tanuja

Abstract

बरगद की छांव

बरगद की छांव

1 min
311

मन को भाये

बरगद की छांव रे

कड़ी धूप चमके

सुकून से मिला दे

बरगद की ये छांव रे

धीमी बहे मंद पुरवईया

दिला दे याद अपना गाँव रे


बरगद की छांव रे

स्वयं में मुस्कुराये

स्वयं को हिलाये

बोले - आजा आजा प्यारे

राही तू है थका हुआ हारे रे

बैठ जा कुछ देर पास हमारे

देख खड़ा बुला रहा हूँ

मैं बरगद की छांव रे !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract