बनकर प्रेमी ....
बनकर प्रेमी ....
मिल गया मुझे उनकी साथ,
सोचा था दिल जिनके बात।
कैसे कहूं मैं दिल की हाल,
बदल चुका है सुर ताल।
प्रेम की धारा चले प्राण में,
गिले-शिकवे नहीं मन में।
परवाह नहीं मुझे किसी से,
दुनिया चाहे कहे जैसे।
चाहे हो जाए कोई नाराज,
हो गया मैं उनके आवाज।
रंगों से रंगी खिला सांझ,
खुशी से झूमे मनवा आज।