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Anita Koiri

Abstract Classics

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Anita Koiri

Abstract Classics

बंधन या मुक्ति

बंधन या मुक्ति

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ताला चाभी रखता समाज है

अंजानी बेड़ियां बनाता समाज है

अपने सम्मान का गुरुर रखता समाज है

धर्म-कर्म, रीति-नीति का शास्त्र लिखता समाज है


पर्दा पुरुषों पर नहीं डालता समाज है

स्त्रियां को ढकता सदैव समाज है

अन्याय का विरोध कभी करता तो कभी न करता समाज है

ये समाज बंधन बनाता स्वयं है


अच्छी बुरी चीजों का मिश्रण ही समाज है

इसी समाज में ताला और चाभी दोनों है

तू देख ले दोस्त तुझे उड़ना या बंध जाना है।


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