anuradha nazeer
Drama
अगर हालांकि
प्यार हो या आराम हो
ठीक है सब कुछ
एक समझ से बाहर
जगह में हो फिर
बकवास हो जाएगा।
कोई
इन चीजों को र...
ज़िन्दगी का क...
प्यार दो
मूल्यवान
जीत
अपने काम से प...
सफलता
प्यार प्यार प...
प्यार की प्या...
सर्वधर्म समभाव से एकता की अलख जगा लो। सर्वधर्म समभाव से एकता की अलख जगा लो।
तुम बनकर घुड़सवार मेरे नन्हे से राजकुमार... तुम बनकर घुड़सवार मेरे नन्हे से राजकुमार...
सपनों की जिंदगी गुलाम बनाती है गुलाम बनाकर बड़ा सताती है। सपनों की जिंदगी गुलाम बनाती है गुलाम बनाकर बड़ा सताती है।
भूल गए थे भागदौड़ में इतनी खूबसूरत दुनियां। भूल गए थे भागदौड़ में इतनी खूबसूरत दुनियां।
कोरोना हारेगा यही विश्वास सारा देश मोदी जी के साथ। कोरोना हारेगा यही विश्वास सारा देश मोदी जी के साथ।
मेरे लिए सब कुछ है मेरी माँ ना छोडूंगा तुम्हें छोड़ दूंगा सारा जहां। मेरे लिए सब कुछ है मेरी माँ ना छोडूंगा तुम्हें छोड़ दूंगा सारा जहां।
मैं काफ़िर ऐसा हूँ, उसकी हर धड़कन को गिनता हूँ । मैं काफ़िर ऐसा हूँ, उसकी हर धड़कन को गिनता हूँ ।
बहुत कुछ है लिखने को ये जनता है सब लिखवा देती है। बहुत कुछ है लिखने को ये जनता है सब लिखवा देती है।
उस दीवार काे अब खुल के जीने का रंग लग गया है। उस दीवार काे अब खुल के जीने का रंग लग गया है।
बंध है मंदिर मस्जिद और ये गुरुद्वारे बंध है मंदिर मस्जिद और ये गुरुद्वारे
मछरी कौ बकु तहुँ ले जावै, पर देख हमरी काया, बकु न खावै। मछरी कौ बकु तहुँ ले जावै, पर देख हमरी काया, बकु न खावै।
दूर होगा अंधेरा जब जागो सवेरा ! पर संयम का संदेश, रहे दिल में मेरा। दूर होगा अंधेरा जब जागो सवेरा ! पर संयम का संदेश, रहे दिल में मेरा।
कभी कभी समझ में नहीं आता आगे क्या होगा अब तो सब कुछ भगवान पर है। कभी कभी समझ में नहीं आता आगे क्या होगा अब तो सब कुछ भगवान पर है।
हौसले को अपने बनाए रख नीरज नया संदेशा लाएगा कल का सूरज। हौसले को अपने बनाए रख नीरज नया संदेशा लाएगा कल का सूरज।
शत्रु की पहचान कराती है निश्चिन्त हो जाती है। शत्रु की पहचान कराती है निश्चिन्त हो जाती है।
इजाद करो यारों वरना भयंकर त्रासदी को झेलना होगा। इजाद करो यारों वरना भयंकर त्रासदी को झेलना होगा।
क्या लॉकडाउन बढ़ जाएगा सवाल बहुत हैं पर जवाब नहीं है। क्या लॉकडाउन बढ़ जाएगा सवाल बहुत हैं पर जवाब नहीं है।
बाबुल की दुआ लेती जा उनका यह गुनगुनाना बहुत याद आता है। बाबुल की दुआ लेती जा उनका यह गुनगुनाना बहुत याद आता है।
मंजिल को पाने के लिए बढ़ चलूं बिना खौफ के बार फिर। मंजिल को पाने के लिए बढ़ चलूं बिना खौफ के बार फिर।
सोच कर हम बढ़ायें अपने क़दम बीच में लड़खड़ाना नहीं ठीक है। सोच कर हम बढ़ायें अपने क़दम बीच में लड़खड़ाना नहीं ठीक है।