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Ratna Kaul Bhardwaj

Romance Tragedy

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Ratna Kaul Bhardwaj

Romance Tragedy

बिखरे जज़्बात

बिखरे जज़्बात

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हम जब किसी का ख्याल थे

वे लम्हें बड़े ही कमाल थे


खोजते थे खुद को अक्सर

हाल अपने बड़े बेहाल थे


पांव जमीन न छूते थे

उनकी बाहें थीं, हम निढाल थे


गर था उनका पुरकशिश बदन

हम भी हुस्न ओ जमाल थे


उनकी आंखों में था अक्स अपना

हुए हम भी कबके हलाल थे


थी हर अदा उनकी मोहब्ब्त भरी

तरीके इज़हार भी कमाल थे


इख़्तिलाख की गुंजाइश न थी

रिश्ते अपने बाकमाल थे


थे हमकदम हम, हमराह भी

मोहब्बत में हम बहाल थे


फिर न जाने क्या हवा चली

ले गई सब, छोड़े बस मलाल थे


क्या जज़्बात फिर काम आते

गुम जब सारे जलाल थे.......



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