बद्दस्तूर रूह को संवारना और शुकराना वाहिद है ज़रिया ज़िन्दगी में खुशहाल का। बद्दस्तूर रूह को संवारना और शुकराना वाहिद है ज़रिया ज़िन्दगी में खुशहाल का।
तुम्हीं हो मेरी हर इक ग़ज़ल में तुम्हीं प आके ख़्याल ठहरा तुम्हीं हो मेरी हर इक ग़ज़ल में तुम्हीं प आके ख़्याल ठहरा
पलक झपकते कहाँ ये गुज़रा कई महीने ये साल ठहरा पलक झपकते कहाँ ये गुज़रा कई महीने ये साल ठहरा