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manish shukla

Abstract

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manish shukla

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बीती रात कमल दल फूले...

बीती रात कमल दल फूले...

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निशा गई,

भोर ऋतु आई,

बीती रात,

कमल दल फुले,

नव उमंग ने ली अंगड़ाई।


हर्षित मन,

उमंग में झूले,

मन मयूर,

उत्साह में डोले

जीवन सुर लहरी संग गाए,


निशा गई,

भोर ऋतु आई

हर दिन की है,

यही कहानी,

अंधकार चीर

,

रोशनी आई,

कल की खुशबू,

आज महकाई,

रात गई,

नई सुबह आई,

कमल दल ने

उम्मीद जगाई।


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