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Mr. Akabar Pinjari

Abstract

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Mr. Akabar Pinjari

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बीती रात कमल दल फूले

बीती रात कमल दल फूले

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तुलसी लहराए आंगन में,

पक्षी चहचहाए सावन में,

घोर अंधकार जब आए जीवन में,

पुलकित चैतन्य भर लो मन में ।


सागर लहरें अंबर डोले,

मुश्किलें जब अपना मुंह खोले,

तब जाकर प्रभु का द्वार खुले,

जैसे बीती रात कमल दल फूले।


रात की कालिमा को लेकर,

सूर्य की लालिमा को लेकर,

विश्वास भरोगे जब तुम मन में,

इतिहास रचोंगे तब जीवन में ।


ख्वाबों की धारा को छोड़ो,

गुलामी की जंजीरों को तोड़ो,

मंदिरों में अपना माथा ना फोड़ों,

सिर्फ़ मेहनत की राहों पर दौड़ो ।


जब तुम सच्ची राह चलोगे,

जो चाहोगे वह पा लोगे,

नाम से भले ही ना जानेंगे,

पर कर्म से आदर्श मानेंगे ।


इतनी बातें जब जानू मैं,

आत्मविश्वास के पुल बांधू मैं,

खुशियों से अब मन मेरा झूले,

जैसे बीती रात कमल दल फूले।


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