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Minal Aggarwal

Thriller

4  

Minal Aggarwal

Thriller

भय

भय

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आकाश में 

चमक रही 

बिजली कड़क के 

जब कभी उसे 

अपनी नंगी आंखों से 

किसी पर कहीं 

गिरते नहीं देखा तो फिर 

भय कैसा


लेकिन पढ़ा है 

सुना है 

खबरों में और 

तस्वीरों में देखा है तो 

कहीं न कहीं 

जब भी यह कड़कती है 

एक भय तो उत्पन्न 

करती है 


कड़ककर जब नहीं गिरती है तो 

कितनी शांति से मिलती है कि 

चलो गिरी भी होगी तो 

किसी खुले मैदान या 

खेत में 

किसी पशु पर 


किसी और पर 

मुझ पर तो नहीं गिरी

मैं तो सुरक्षित हूं 

अपने घर में बंद हूं 

मुझे तो घर की खिड़की से यह 

एक आतिशबाजी का खेल 

लगती है


जिस पर गिरकर यह उनकी 

जान लेती होगी 

जरा उनसे पूछे कोई कि

अपना जीवन गंवाकर

मौत के तांडव का भय फिर 

कैसा होता है।


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