भूख जब ले ले दम
भूख जब ले ले दम


आगे पीछे होता जीवन कभी खुशी कभी गम,
जीवन जीने के लिए हर कोई करे श्रम !
श्रम के मूल्य मिले ना अन्न सदा होता कम,
तन से निकल जाए प्राण भूख जब ले ले दम !
महंगाई की मार पड़ा मच गया हाहाकार,
सूद चुकाने दास बने श्रमिक हुआ लाचार !
पेट के लिए बच्चा बेचे रो रहा है परिवार,
दुख पीड़ा परेशानी से भर गया अंधकार !
खाली उदर कैसे जिए परिस्थिति है चरम,
तन से निकल जाए प्राण भूख जब ले ले दम" !
साग सब्जी है सपना घर में नमक नहीं,
एक वक्त भोजन मिले कभी कभी वह भी नहीं,
पानी से भूख कैसे मिटे आसार तो नहीं कोई,
पीड़ा ढ़ोनेका शक्ति कहां मर जाना ही है सही,
कैसे जीएगा गरीब यहां द्वार पे खड़ा है यम,
तन से निकल जाए प्राण भूख जब ले ले दम !
बल निर्बल के बीच में हो रहा है तकरार,
अनाज उगाने वाले आज भूख का हुए शिकार,
अथर्व यह प्रशासन घोटालों का सरकार,
किताबों में बंद सारे गरीबों के अधिकार,
मुख दर्शक नेतागण हो गए हैं बेशर्म
तन से निकल जाए प्राण भूख जब ले ले दम !