STORYMIRROR

VIVEK ROUSHAN

Abstract

4  

VIVEK ROUSHAN

Abstract

बहुत याद आएँगे हम

बहुत याद आएँगे हम

1 min
526

जब याद आएँगे तो बहुत याद आएँगे हम

अश्क़ बन कर तेरी आँखों से निकल आएँगे हम


न मैं खुदा हुँ न फ़क़ीर न कोई तेरा चाहनेवाला

पर देखना इन सब से पहले तुझे याद आएँगे हम


हम इश्क़ करते हैं इश्क़ में बेवफाई नहीं करते

तेरे गम-ए-हिज़्र के साथ भी वफ़ा कर जाएँगे हम


सोचता हुँ अक्सर की इक न इक रोज़ तुम्हें भुला दूँगा

फिर सोचता हुँ की तुम्हें कैसे भुला पाएँगे हम


जल रहे हैं की जलना मुकद्दर है हम आशिक़ों का

थोड़ा और जल कर खुद क़ो जलता छोड़ जाएँगे हम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract