बहता रहूंगा
बहता रहूंगा
जैसे अंबर की ऊंचाई है।
ऐसी ऊंचाई मैं भी चलूंगा ।।
जिस जमीं से उठूंगा।
बिसात है वो स्मरण रखूंगा ।।
जब होगी राह अवरुद्ध।
तो कुछ देर ठहर जाऊंगा।।
जब आएगा मेरा वक्त।
तो हर मुसीबत को हराऊंगा।।
मैं निरंतर कोशिश करता रहूंगा
रुक-रुक कर मैं चलता रहूंगा
भले ही रफ्तार मध्यम हो।
मैं धारा की तरह बहता रहूंगा।।