भ्रूण हत्या
भ्रूण हत्या
मैं लड़की हूँ तो क्या हुआ
मैं भी दुनिया में आना चाहती हूँ
दुनिया देखना चाहती ही
माँ पिता का प्रेम पाना चाहती हूँ।
क्या बिगाड़ा है हम लड़कियों ने जो
हमें मोत की सजा और
लड़कों को दुनिया देखने
की वझा मिलती है।
धन की देवी हाथ में कमल
पकड़े माँ लक्ष्मी भी तो स्त्री है
ज्ञान की देवी हाथ में वीणा पकड़े
माँ सरस्वती भी तो स्त्री है
जनम देने वाली हाथ में घर की
डोर पकड़े माँ भी तो स्त्री है।
मैं बोझ नही हूँ धरती पे
मैं तो समान हूँ दुनिया की
जरा देखो कल्पना चावला और
इंद्रा गांधी को वे भी तो एक स्त्री ही है।
आने दो मुझे इस दुनिया में
बेटा बन दिखाऊँगी
हर तकलीफ़ को दूर कर
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नाम रोशन आपका कर जाऊँगी।
नन्ही ही जान में खून तुम्हारी ही तो हूँ
इस बात को दिल में उतरो तुम
मुझ नन्ही सी परी को अंदर ही मत मारो तुम।
लोगों की बात में आके बापू
मेरी दुनिया ना उजड़ो बापू
में बोझ नही हूँ पापा तुमपे
ये दुनिया को दिखाओ बापू।
लड़की नही होगी तो बेटे को
क़िस्से बेह्लाओगे
नवरात्रि की कन्या पूजन में
कन्या कहा से लाओगे
जो ना होगी बहन तो भैया के
कलाई को कैसे सजाओगे
जो मर दोगे मुझे अंदर तो
अपना अस्तित्व कैसे बचाओगे।
लड़की बिना ना दुनिया चलेगी
इस बात को तुम याद करो
बोझ मानकर लड़की को
तुम उसका अपमान ना करो
समझ कर मुझ को बोझ अंदर ही मत वार करो।