Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Chetandas Vaishnav"चिंगारी"

Tragedy

4  

Chetandas Vaishnav"चिंगारी"

Tragedy

भ्र्ष्टाचार

भ्र्ष्टाचार

1 min
213



आज हर कार्यालय में

हो रहा है खूब भ्रष्टाचार,

नीचे से लेकर ऊपर तक

चपरासी से लेकर अधिकारी तक

खूब चला रखा है 

रिश्वत का बड़ा ही कारोबार, 

क्योंकि........,

बिना दाम दिए होते नहीं काम,

खाये कौन चक्कर कार्यालयों के,

समय नहीं आज किसी के पास,

इसलिए वो भी नहीं रखते आस,

लिया और दिया करा दिया अपना काम,

इस चक्कर में नहीं हो रहा है

भ्रष्टाचार कम,

दिन-दोगुना और रात-चौगुना 

बड रहा यहाँ भ्रष्टाचार

इसमें पीछे नहीं मेरे देश के

भ्रष्ट नेताओं की भ्रष्टाचारी,

इसमें तो शामिल है

पूरी की पूरी जमाती भरी पड़ी है, 

जो देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करने को लगी पड़ी है, 

इनकी छत्रछाया में ही फल-फूल रहा है भ्रष्टाचार, 

मानो ऐसा लगता है जैसे बन गया है 

हर जगह यह शिष्टाचार,

आओ आज से हम सब मिलकर करें प्रण,

हम देंगे रिश्वत और ना ही लेंगे हम रिश्वत !!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy