भोजपुरी पूर्वी लोकगीत – चले ठं
भोजपुरी पूर्वी लोकगीत – चले ठं
चले ठंडी बयरिया ये सजनी ,
कांपेला बंदनवा मोर।
जल्दी से भरीला अंकवरिया
लागेला जड़वा बड़ी ज़ोर
चले ठंडी बयरिया ये सजनी ,
कांपेला बंदनवा मोर।
अंतरा 1 सुना मोर अँखियाँ के पुतरी ,
भईले प्यार तोहसे मोर।
बिना तोहरे तरसे नजरिया ,
उठेला कर्जवा में हिलोर।
चले ठंडी बयरिया ये सजनी ,
कांपेला बंदनवा मोर ।
अंतरा 2 -पतरी कमरिया अँखिया बाड़ी कजरी।
चले न केवनों दिलवा पर ज़ोर।
हमके बना ला सजना ये गुजरिया।
संगे बांधीला जिंगीया के डोर।
चले ठंडी बयरिया ये सजनी ,
कांपेला बंदनवा मोर।
अंतरा 3 – हरदम रहा तू हमरे अँखियाँ के
पजरी।
काहे भइलू तू करेजवा के कठोर ।
बोली बोले हमके गाँव नगरिया ।
निरखी तोहके जइसे चितवे चकोर।
चले ठंडी बयरिया ये सजनी ,
कांपेला बंदनवा मोर ।

