भोजन
भोजन
अध्यात्म जगत में भोजन की महिमा आओ तुम्हें बतलाते हैं ।
नियम संयम से भोजन तुम करना संतमत समझाते हैं ।।
भोजन से ही प्राण है बनता इसी कारण वह काम है करता।
भोजन विधि का जो पालन करता आत्म लाभ का सुख है मिलता।।
उत्तम कमाई से जो धान्य है लाता उत्तम चरित्र का निर्माण है करता।
अधर्म से पैदा अन्न हलाहल चित्त मल विकारों से है भरता।।
सादा-ताजा भोजन जो करते, सात्विक मन उसका है बनता।
जायसी भोजन से दूर जो रहते, तामसी वृत्ति को दूर है करते।।
शुद्ध आचरण से जो भोजन बनाता, प्रसाद तुल्य वह बन जाता।
अन्न से ही विचार पनपते, सुर-असुर सम व्यवहार है करते।।
एकांत में भोजन तुम पालो, भोजन-भजन का नियम अपनालो।
नजर से हानि-लाभ उपजता, सोहबत का उस पर असर है पडता।।
बलि वैश्व देव यज्ञ भोजन नित करना, भूखे को तृप्त पहले तुम करना।
चित्त प्रसन्न नीरज तुम जानो, सात्विक भोजन को जब पहचानो।।