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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Others Children

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अंकित शर्मा (आज़ाद)

Abstract Others Children

बहिन

बहिन

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सबने तुमको बस राखी जाना,

नाजुक हंसती साखी जाना,

सबने तुमको बोला प्यारा,

खुशी जैसे वैशाखी माना,


तुम गुड़िया हो कोमल प्यारी, 

लिए केश की लट घुंघराली,

तुम पगली सी हँसी ठिठोली, 

साथी तुम हो बड़ी निराली,


चिंतक तुम हो , मित्र हो प्यारी,

भीतर ही समेटे दुनिया सारी,

मनमोहक इक चित्र की जैसी,

प्यारी न्यारी मुस्कान तुम्हारी,


तुम हिम्मत हो बुरे वक्त में, 

हर अच्छे पल का हो साहस,

तुम करुणा हो, आंसू भी तुम,

तुम महिष मर्दिनी जो हो दुस्साहस,


तुम खुद में इक बड़ी लहर हो,

आवेग समेटे हृदय में भीतर,

तुम राखी से बहुत बड़ी हो,

ये बात जानता हूं मैं बेहतर,

गहरी मन के भीतर कितना हो,

न माप सके कोई पैमाना,

सबने तुमको बस राखी जाना,

नाजुक हंसती साखी जाना। 



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