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Shubham Pandey gagan

Abstract Children Stories Fantasy

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Shubham Pandey gagan

Abstract Children Stories Fantasy

भगवान अगर बच्चे होते

भगवान अगर बच्चे होते

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रोज़ सबेरे उठना पड़ता

रोज़ जाना पड़ता स्कूल

रोज़ तुम भी करते होमवर्क

सारी मस्ती जाते भूल।      

 

मैडम भी डाँट लगाती तुमको 

कभी कभी मम्मी की मार    

ढेर सारा करना पड़ता याद     

कविता पहेली और चित्रहार।


रोज़ पढ़नी पड़ती किताबें

टीवी देखने से होते दूर

गर्मी की छुट्टी में घूमने मिलता

हिल स्टेशन या कोई विदेशी टूर।         


रसगुल्लों के लिए लड़ाई होती     

आइसक्रीम के लिए करते चोरी     

जब जाते पकड़े मम्मी से तुम     

सुननी पड़ती ढेर सारी कडुई लोरी।


काश तुम भी सब कर पाते

भगवान अगर तुम बच्चे होते

मन को समझ पाते हमारे

अगर हमारे जितने कच्चे होते।



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