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Shakuntla Agarwal

Abstract

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Shakuntla Agarwal

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"भात: भाई - बहन का प्यार"

"भात: भाई - बहन का प्यार"

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अब खत लिख रही,

बहन बिरन को,

वीरा मेरे भाती आयो रे,


अच्छी सी साड़ी,

मेरी सास की लाईओ,

अरे ! मेरा ससुरा बड़ा शौक़ीन,

दुपट्टा हरा रँग लाईओ रे,

अब खत लिख रही,

बहन विरहन को,

वीरा मेरे भाती आयो रे,


अच्छा सा लहँगा,

मेरी जिठानी का लाईओ, 

अरे ! मेरा जेठा बड़ा शौक़ीन,

साफा लाल रँगाईओ रे,

अब खत लिख रही,

बहन विरहन को,

वीरा मेरे भाती आयो रे,


अच्छी सी साड़ी,

मेरी देवरानी की लाईओ,

अरे ! मेरा देवर बड़ा रँगीन,

चढ़न नै स्कूटर लाईओ रे,

अब खत लिख रही,

बहन विरहन को,

वीरा मेरे भाती आयो रे,   


अच्छा सा लहँगा,

मेरी नन्दी का लाईओ,

अरे ! मेरा नन्दोई बड़ा शौक़ीन,

गले की चैन लाईओ रे,

अब खत लिख रही,

बहन विरहन को,

वीरा मेरे भाती आयो रे,


अच्छी सी चुनरी,

अपनी बहना की लाईओ,

अरे ! तेरा जीजा बड़ा शौक़ीन,

बैठन नै गाड़ी लाईओ रे,

अब खत लिख रही,

बहन विरहन को,

वीरा मेरे भाती आयो रे ।।


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