भारतीयता
भारतीयता
है विविधता,
है कला और विरासत भी,
है धर्म कई,
और मन में अनेकों प्रार्थना भी,
पिरोई धुन गंगा है ने,
बोल दिए कावेरी ने,
वीणा बजाती गोदावरी है,
सुर से साज़ मिलती निश्चल ब्रह्मपुत्र की झांकी है,
कोई कविता मानो कहती मद्धम बंगाल की घाटी है,
प्रकृति की गोद में सोती कुर्ग की पहाड़ी है,
एक ओर जहां विश्वनाथ भंडारी है,
दूजी ओर काशी कहती कबीर की वाणी है,
मर्यादा और धर्म विजय की साक्षी बनी रामायण है,
यहां जीवन की साथी बनती महाभारत है,
यहां भक्ति को लिखते रसखान है,
युद्ध की गौरव गाथा कहते तीर कमान है,