भारतीय नववर्ष
भारतीय नववर्ष
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है नववर्ष हमार,
चैत्र नवरात्रों से प्रारम्भ होता हर बार
प्रकृति ने दस्तक लगाई है,
अनुपम से प्रेम -भाव की।
हर कहीं मस्ती ही छाई है,
नयेपन और बदलाव की।
पत्ते सभी पुराने,
पेड़ों ने हैं गिराए,
सुंदर से नये पल्लव ,
उपहार में हैं पाए।
पाकर के नये-नये फूल
शीत के हर ग़म को भूल,
हर कहीं नज़र आती है,
छटा सुंदर से प्रभाव की।
हर कहीं मस्ती सी छाई है,
नयेपन और बदलाव की।
बदलाव के असर को,
महसूस किया सबने ।
बस नाम अलग देकर,
हैं खुशियॉं मनाई हमने।
उत्तर में कह हम नववर्ष,
पाते हैं अनुपम सा हर्ष,
उगादि बिहू से नाम दे,
मनाई मस्ती बदलाव की।
हर कहीं मस्ती ही छाई है,
नयेपन और बदलाव की।
सकारात्मक रहें सदा हम,
है सुनिश्चित ग़मों का अंत।
शीत के बीत जाते हैं दुर्दिन,
है प्रत्यूष लाता सुखद बसंत।
हर क्षण बदलता रहता संसार,
परिवर्तन हेतु सदा रहें तैयार,
भरोसे वाली साथी जरूरी है
सकारात्मकता रूपी नाव की।
हर कहीं मस्ती ही छाई है,
नयेपन और बदलाव की।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है नववर्ष हमार,
चैत्र नवरात्रों से प्रारम्भ होता हर बार
प्रकृति ने दस्तक लगाई है,
अनुपम से प्रेम -भाव की।
हर कहीं मस्ती सी छाई है,
नयेपन और बदलाव की।
