"भारत मां का बेटा हूँ मैं.."
"भारत मां का बेटा हूँ मैं.."
बैठ कर सब कुछ देख रहा हूँ मैं,
उभरते भारत की राजनीति से
ख़ुद को समेट रहा हूँ मैं,
धर्मनिरपेक्षता,लोकतंत्र समर्थन लेखा हूँ मैं,
हाँ,
एक सितारे की तरह
भविष्य के चाँद का चहेता हूँ मैं,
फिर,
क्यों न कहूँ.....
भारत मां का बेटा हूँ मैं।
बांट दिया देश को,
लूट लिया प्रदेश को,
नज़रबन्द,
कैद सा ख़ुद के घर में,
खुली आँखों से राजनीति देखा हूँ मैं।
भुरभुरे इरादों का,
रेत सा गर्म,
फिर भी पड़े बंजर ज़मीन के
सपनों को मिट्टी से सँजोता हूँ मैं,
हां,
भारत मां का बेटा हूँ मैं।
तिरंगों के तीन रंगों से रंगे,
एक कपड़े में लिपटा हूँ मैं
शरीर पड़ी है सरहद पर ,
एक सुकून की नींद लेकर लेटा हूँ मैं,
भारत मां का बेटा हूँ मैं।