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Gaurav Shukla

Abstract

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Gaurav Shukla

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मदहोश

मदहोश

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इन हवाओं में भी तेरा ज़िक्र रहता है,

मदहोश करने वाली ज़ुल्फें यूँ लहराया न करो....


नज़र,नज़र से मिले तो हो मोहब्बत,

यौवन दिखा के इन्हें भरमाया मत करो.....


चरम सीमा पर है ये जो झलक रहा है,

इस तरह से इन्हें उकसाया न करो....


अब जो आ गए हो मेरे पास इतनी दूर चल कर,

ख़ुदा क़सम नज़रें झुका यर यूँ शर्माया न करो...



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