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Gaurav Shukla

Others

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Gaurav Shukla

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बसन्त चुप न बैठो

बसन्त चुप न बैठो

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तोड़ दो बंधने,

बेड़ियों को खुलने दो,

बसन्त मौसम को आज

हमसे मिलने दो


चहचहाना

गीत मधुर सुनाना,

पंछियों का आज कुछ कहने दो


ऋतुराज बसन्त चुप न बैठो

मोहब्बत की बेला

को गढ़ने दो

बेबाक़ी से करो

इज़हार मोहब्बत का


प्रकृति को आज

बाहों में भरने दो

सांसें चलेगी

इन हवायों से

आज इनको भी

मोहब्बत करने दो।


ऋतुराज बसन्त चुप न बैठो,

मोहब्बत की बेला को गढ़ने दो।


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