Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Gaurav Shukla

Others

5.0  

Gaurav Shukla

Others

बसन्त चुप न बैठो

बसन्त चुप न बैठो

1 min
257


तोड़ दो बंधने,

बेड़ियों को खुलने दो,

बसन्त मौसम को आज

हमसे मिलने दो


चहचहाना

गीत मधुर सुनाना,

पंछियों का आज कुछ कहने दो


ऋतुराज बसन्त चुप न बैठो

मोहब्बत की बेला

को गढ़ने दो

बेबाक़ी से करो

इज़हार मोहब्बत का


प्रकृति को आज

बाहों में भरने दो

सांसें चलेगी

इन हवायों से

आज इनको भी

मोहब्बत करने दो।


ऋतुराज बसन्त चुप न बैठो,

मोहब्बत की बेला को गढ़ने दो।


Rate this content
Log in