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Gaurav Shukla

Others

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Gaurav Shukla

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ऋतुराज

ऋतुराज

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मन मेरा झूम रहा,

आयो बसन्त कल ढूंढ रहा

फैल रहे दिशाओं में,

हृदय हृदय से फूल रहा

बिखरी पड़ी मानवता देखो,

हरियाली सा मन झूम रहा

खिल रहा एक नया सवेरा,

ऋतुराज कुछ भूल रहा

मन बैरागी हुआ बसन्त में,

देखा,

खोया बचपन दूर रहा।



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