बहारें बार बार आती हैं
बहारें बार बार आती हैं
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जब बड़ा तूफान आता हे..
तब जड़ें नही, पहले दरख़्त के,
पत्ते व टहनियाँ साथ छोड़ जाती है।
फिर बहारें वहां आती हैं ..
तो तितली, भंवर ओर लताएं ,
उसी दरख़्त से लिपट जाती हैं ।
ढलते सूरज की यहां,परवाह कहां..
भोर होते ही सब हो उठते खड़े आर्य,
यहां पर उगते की,स्तुति की जाती हे।
" दसु " ना नाराज हो, ना उदास..
बहारें फिर कभी, तेरे दर भी आयेंगी,
वो एक बार ही नही, बार बार आती हैं ।