STORYMIRROR

Dashrathdan Gadhavi

Abstract

3  

Dashrathdan Gadhavi

Abstract

मैं तो आज हूँ

मैं तो आज हूँ

1 min
247

ना भूत हूँ, ना भविष्य हूँ, 

भइ, में तो बस आज हूँ। 


हूँ कंकण, लदा बालु कणो से, 

किसि जवेरी के लिए खास हूँ। 


जीवन बडा अबुझ है, ओर संघर्ष पुर्ण भी, 

बहु आयामी खेल, पतो की तास हूँ।


सुगंध हूँ कांटो बीच, रुप पत्थर प्हाणो में। 

इनसान हूँ ओर अंतर आत्म विश्वास हूँ। 


गेर नहीं, मेरे अपने हो आप "अशेष "

ये ना भुलिए कि, हर घड़ी आपके पास हूँ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract