बहाने दे आज तो अश्क ,
शायद आज ये दिल टूटा है ,
उम्मीद ~ए ~ वफ़ा से आज ,
अपना भी नाता रूठा है |
एक हँसी खिलती थी कभी ,
अपने भी अय्याश बाज़ार में ,
बहाने दे आज तो अश्क ,
शायद आज वो बाज़ार छूटा है |
फिर मिलें या ना मिलें ,
मुमकिन होकर भी ज़ोर ना होगा ,
बहाने दे आज तो अश्क ,
शायद आज किसी अपने ने लूटा है |
यूँ तो कहने को हम ,
ghlight-color: transparent;">दिल ~ओ ~ जाँ थे कभी ,
बहाने दे आज तो अश्क ,
शायद अपना ही नसीब फूटा है |
अपनी अस्मत लुटा कर भी ,
जो तुझे अपना बना ना सके ,
बहाने दे आज तो अश्क ,
शायद आज ये दिल टूटा है ||