इंसानियत
इंसानियत
ना जाने इंसान होकर कैसे इंसानियत भूल रहे हैं ,,
इंसान होकर एक दूसरे की मदद करना भूल जाते हैं ।।
इंसान में इंसानियत और परोपकार की भावना होती हैं ,,
ना जाने ऐसे इंसान अब कहां मिलते हैं।।
आज कल के इंसान मंदिरों में तो बहुत दान करते हैं पर ,,
सड़क पर भूखे गरीबों को नजरअंदाज करके चले जाते हैं ।।
आज इंसान ही इंसान को मार रहा है ,,
ना जाने कितने बेटियों की इज्जत लूट रहा है ,,
पता नहीं इंसान होकर कैसे इंसानियत भूल रहा हैं ।।
परवाह करते नहीं कोई किसी की ,,
यहां सब सोचते है अपने स्वार्थ की ,,
इंसान होकर कर्म कैसे करते हैं जानवर की ।।
कोई मर रहा हैं तो मर जाए ,,
कोई मार रहा है तो मारे ।।
किसी की इज्जत जा रहा है तो जाए ,,
पर कैसे भी हो हम पर कोई आंच ना आए ।।
धिक्कार है ऐसे जीवन की जो किसी कार्य में काम ना आए ,,
जो इंसान होकर जो इंसान की जरूरत में काम ना आए ।।
ना जाने इंसान होकर कैसे इंसानियत भूल रहे हैं ,,
पता नही कैसे इंसान होकर एक दूसरे की
मदद करना भूल जाते हैं ।।