भाईचारा
भाईचारा
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सब धर्मो के सभी जाति के ,
भेदभाव को विसारकर।
रहो सभी मिलजुल कर प्यारे,
अपनेपन को बढाकर ।।
एक हमारी भारत माता एक ,
ही हम सबका करतार ।
एक लहू का रंग तो फिर क्यों,
करते हो मानवता क्षार ।।
भारत माता के आंगन की है,
हम सब सुन्दर फुलवारी ।
भेद भुला कर भाईचारा तब,
महके हर क्यारी न्यारी ।।
छोटी छोटी बातो को हम,
कभी न व्यर्थ बढाएं ।
सभी हमारे है अपने सबसे,
मिल प्यार मान पाएं ।।