Aakriti Sharma
Drama
न आना तू आज याद मुझे कि ये नैन भर आएंगे
होठों को तो मुस्कुराना पड़ेगा पर ये
आसूं फिर छलक ही जायेंगे
लोग जाने - अनजाने दे कर रक्षा बंधन की बधाइयां
टूटे दिल पर खंजर चला जाएंगे
न आना तू आज याद मुझे कि ये नैन भर आएंगे।
विश्वास
मेरी माँ
तेरी कमी
बढ़ा कदम
मेरे सपने
भाई
करेगा सो भरेगा क्यों सोचे समझदार आ बैल मुझे मार। करेगा सो भरेगा क्यों सोचे समझदार आ बैल मुझे मार।
अब क्यों करे मृत्यु की फरियाद हुआ वही, आ बैल मुझे मार। अब क्यों करे मृत्यु की फरियाद हुआ वही, आ बैल मुझे मार।
मोती मोती मिलकर जैसे बना हो मुक्ताहार। मोती मोती मिलकर जैसे बना हो मुक्ताहार।
बड़ी तकलीफ होती है, किसी के पास व किसी से दूर जाने की। बड़ी तकलीफ होती है, किसी के पास व किसी से दूर जाने की।
सकारात्मकता को एक से ग्यारह कर दिया है। सकारात्मकता को एक से ग्यारह कर दिया है।
वो घर का इतना कीमती सामान होती हैं आखिर ननदें घर की जान होती है। वो घर का इतना कीमती सामान होती हैं आखिर ननदें घर की जान होती है।
जब बात एक और एक ग्यारह की होती। जब बात एक और एक ग्यारह की होती।
नन्हा फरिश्ता संग अपने कितने रिश्तों को लाया है। नन्हा फरिश्ता संग अपने कितने रिश्तों को लाया है।
मन की हूक मन में उठती है, और मन में ही रह जाती है। मन की हूक मन में उठती है, और मन में ही रह जाती है।
हम पूरे जीवन भर स्वयं को छोड़कर दूसरो में सिर्फ कमियां ढूंढने में लगे रहते हैं। हम पूरे जीवन भर स्वयं को छोड़कर दूसरो में सिर्फ कमियां ढूंढने में लगे रहते हैं।
अब उसे कहने की जरूरत न रही कि आ बैल मुझे मार। अब उसे कहने की जरूरत न रही कि आ बैल मुझे मार।
नानी से कहानी सुनना और बतियाना बहुत मुश्किल है वो नटखट से बचपन को भूल जाना। नानी से कहानी सुनना और बतियाना बहुत मुश्किल है वो नटखट से बचपन को भूल जाना।
दूसरे तो क्या वो ख़ुदा भी नहीं करता मुझसे रार। दूसरे तो क्या वो ख़ुदा भी नहीं करता मुझसे रार।
वक्त बेवक्त स्मृति बनकर प्रकट हो जाते हैं पापा के रूप में। वक्त बेवक्त स्मृति बनकर प्रकट हो जाते हैं पापा के रूप में।
मैं सोचने लगा ये क्या ये तो फिर वही बात हो गई। मैं सोचने लगा ये क्या ये तो फिर वही बात हो गई।
अपनी इच्छाओं को जताया। मैं बैल हूँ तूने मुझे भगवान बनाया। अपनी इच्छाओं को जताया। मैं बैल हूँ तूने मुझे भगवान बनाया।
विदायी के समय माथे पर तुम्हारे प्यार, गिरते हुए मां के आसुओं को। विदायी के समय माथे पर तुम्हारे प्यार, गिरते हुए मां के आसुओं को।
और सोचता हूँ के तू मेरा सपना था या हकीकत, और सोचता हूँ के तू मेरा सपना था या हकीकत,
होगी तकिये के तले कुछ सिसकियाँ माँ की बेटे को लिखी कुछ चिट्ठियां। होगी तकिये के तले कुछ सिसकियाँ माँ की बेटे को लिखी कुछ चिट्ठियां।
गमों ने रुलाया बहुत खुशी के आंसू रोने चला है। गमों ने रुलाया बहुत खुशी के आंसू रोने चला है।