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Aakriti Sharma

Abstract

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Aakriti Sharma

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तेरी कमी

तेरी कमी

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हर किसी की अपनी अहमियत होती है

किसी की कमी कहाँ किसी से पूरी होती है 


तेरे जाने से ज़िंदगी अधूरी सी हो गयी है 

हमने ये माना कि मौत अटल सत्य है 


पर अपनों के बिना जीना कहाँ मुमकिन है

हर वक्त दिल में इंतज़ार और आँखों में रहती नमी सी है 


हर घड़ी खलती रहती बस तेरी ही एक कमी है।


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