बेटियां
बेटियां
क्यूं ठुकराते हो बेटीयों को,
क्या बेटी इंसान नहीं होती,
क्यूं नहीं देते बेटों सी इज्ज़त इन्हें,
कौन कहता है बेटीयों में जान नहीं होती,
अरे कद्र करो बेटीयों की,
इनके बिन जग जीवन नहीं,
मान बढ़ाओ बेटीयों का,
इन जैसा भगवन नहीं,
बाप की इज्ज़त की खातिर,
धूल में मिल जाती हैं बेटीयां,
पति की इज्ज़त की खातिर,
मन को समेट जाती हैं बेटीयां,
झांसी की रानी बेटी थीं,
थीं बेटी अहिल्याबाई भी,
कल्पना चावला बेटी थीं,
थीं बेटी झलकारी बाई भी,
हर कदम हर जगह पर,
मैं इनका मान करता हूं,
सभी भारतवासियों के साथ मिल,
इन्हें मैं प्रणाम करता हूं,
इन्हें प्रणाम करता हूं।