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Salil Saroj

Classics

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Salil Saroj

Classics

बेटियाँ

बेटियाँ

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कौन सी सदी में रहते हो

जो बात तुम ये कहते हो।


बेटी है तो सब जायज़ है

अजीब दिशा में बहते हो।


आज़ादी से न पालते हो

किसकी ग़ुलामी सहते हो।


क़त्ल करके ख़्वाबों का

किस बात पे हँसते हो।


बेटियाँ हैं तो ही सब है

ये क्यों नहीं चाहते हो।


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