Salil Saroj
Classics
कौन सी सदी में रहते हो
जो बात तुम ये कहते हो।
बेटी है तो सब जायज़ है
अजीब दिशा में बहते हो।
आज़ादी से न पालते हो
किसकी ग़ुलामी सहते हो।
क़त्ल करके ख़्वाबों का
किस बात पे हँसते हो।
बेटियाँ हैं तो ही सब है
ये क्यों नहीं चाहते हो।
अब पीछे मुड़ ...
जीत जाने की ब...
यूँ ही कातिल ...
खुदाई से मेरा...
इश्क़ ने ...
जो चाहिए वो ह...
मत समझो कि ये...
तुम्हारे सिवा...
बारिश को अब ब...
बुरा मत कहो
नैन अपने भी हठीले से हैं हर घड़ी उन में डटे रहते हैं। नैन अपने भी हठीले से हैं हर घड़ी उन में डटे रहते हैं।
याद रखो जो तुम्हारे पास है इस वक्त वही सबसे खास है। याद रखो जो तुम्हारे पास है इस वक्त वही सबसे खास है।
बूंदों जैसे कुछ क्षण लेकर चली थीं सागर भर लाने को। बूंदों जैसे कुछ क्षण लेकर चली थीं सागर भर लाने को।
हर क्षण ही आशीष हमारा तव संग है, हो दीप्तिमान तुम हमारे प्रिय रघुवंश। हर क्षण ही आशीष हमारा तव संग है, हो दीप्तिमान तुम हमारे प्रिय रघुवंश।
मानवता भी ना शेष हो नशे मे कौन है, ये तू बता ! मानवता भी ना शेष हो नशे मे कौन है, ये तू बता !
न ही बाधित हो रिश्तों के मायने यही तो हैं बदलते सामाजिक दायरे। न ही बाधित हो रिश्तों के मायने यही तो हैं बदलते सामाजिक दायरे।
वरना साहिल से मिल कर, भी सफ़ीने डूब जाते हैं। वरना साहिल से मिल कर, भी सफ़ीने डूब जाते हैं।
जग 'शुचि' पावन सा लगता अब, द्वार खड़ी कर जोय रही। जग 'शुचि' पावन सा लगता अब, द्वार खड़ी कर जोय रही।
कण कण बिखरते धू धू धूँआ होते मैंने देखा है, रंंगो को रंग बदलते मैंने देखा है कण कण बिखरते धू धू धूँआ होते मैंने देखा है, रंंगो को रंग बदलते मैंन...
भाई बिना बहन किसे बाँधे राखी और किसे पुकारे भााई। भाई बिना बहन किसे बाँधे राखी और किसे पुकारे भााई।
ग़ालिब के रिसाले को पहले पढ़ने के लिए। ग़ालिब के रिसाले को पहले पढ़ने के लिए।
कुछ हसीं ख्वाब आए, दिल में यूं समाए। कुछ हसीं ख्वाब आए, दिल में यूं समाए।
गरीब अमीर में एक ही बसीयाना शिक्षा तेरी कितनी परीक्षा। गरीब अमीर में एक ही बसीयाना शिक्षा तेरी कितनी परीक्षा।
बताइए पन्ना मावड़ली, कटे थारो लाल लाल मारो कुर्बानी देगो देश के लिए! बताइए पन्ना मावड़ली, कटे थारो लाल लाल मारो कुर्बानी देगो देश के लिए!
क्योंकि मैं हूं नादान इस रिश्ते का तू है मैदान है फरिश्ते का। क्योंकि मैं हूं नादान इस रिश्ते का तू है मैदान है फरिश्ते का।
सफ़र ज़िंदगी की कुछ ठहर जाती राही हूँ मैं भी डगर का चला फिर से। सफ़र ज़िंदगी की कुछ ठहर जाती राही हूँ मैं भी डगर का चला फिर से।
रात - दिन रखवाली करें, "शकुन" बोए फ़सल अपार। रात - दिन रखवाली करें, "शकुन" बोए फ़सल अपार।
जब तक शरीर रहा तब तक रुक्या नहीं। बा धरती नागौरी..............। जब तक शरीर रहा तब तक रुक्या नहीं। बा धरती नागौरी..............।
गर मानव तन को समझ गये इस मां का तुम बखान करो। गर मानव तन को समझ गये इस मां का तुम बखान करो।
जो अक़्सर बुतनुमाया थी वो हम पर छा गई आंखें। जो अक़्सर बुतनुमाया थी वो हम पर छा गई आंखें।