Rameshwar Bishnoi 007
Inspirational
बेटियां तो रानियाँ है
सबके सपनों को करती पूरा
दुःख सुख को समझती बेटियां
माँ की परछाईं बन कर
पिता की मान बन कर
हूँ प्रभु दर्...
जल्दी सोना जल...
दर्प क्यों
काव्य- दुल्हन
काव्य
उम्र
अंतरराष्ट्रीय...
हमें वैसे ही ...
आधुनिकता की द...
महाशिवरात्रि ...
न कोई तराजू नाप सका इनको तो क्यू बचकानी जिद पे, लाख खुशियां खोए। न कोई तराजू नाप सका इनको तो क्यू बचकानी जिद पे, लाख खुशियां खोए।
अभिव्यक्त हुई दिल से तो कभी जुबां से बताई गई।। अभिव्यक्त हुई दिल से तो कभी जुबां से बताई गई।।
सरल मधुर इतिहास है, पढ़ते हैं सब आज।। सरल मधुर इतिहास है, पढ़ते हैं सब आज।।
दिलों की अच्छाइयाँ ना जानने वाले इल्ज़ाम के तराजू रखते हैं नापने वाले। दिलों की अच्छाइयाँ ना जानने वाले इल्ज़ाम के तराजू रखते हैं नापने वाल...
मां से एक और नम्र विनती है, ऐसे ही आशीष आप हमें देती रहें। मां से एक और नम्र विनती है, ऐसे ही आशीष आप हमें देती रहें।
इम्तिहानों से गुजरकर परिणामों से हारकर हौसला मगर टूटे ना उम्मीदों से मुकरकर। इम्तिहानों से गुजरकर परिणामों से हारकर हौसला मगर टूटे ना उम्मीदों से मु...
अपनी उदासी को दूर करते हुए जीवन में एक कदम आगे बढ़ती हूँ। अपनी उदासी को दूर करते हुए जीवन में एक कदम आगे बढ़ती हूँ।
दूर हुआ जीवन से विज्ञान तकनीकी विचारधारा का टेंशन। दूर हुआ जीवन से विज्ञान तकनीकी विचारधारा का टेंशन।
विज्ञान और अध्यात्म में अनन्योन्याश्रय संबंध है। विज्ञान और अध्यात्म में अनन्योन्याश्रय संबंध है।
मैं जीना चाहती हूं अब स्वयं के लिए। मैं जीना चाहती हूं अब स्वयं के लिए।
बहुत हुआ जूतम पैजार आरंभ करो अब तो प्यार। बहुत हुआ जूतम पैजार आरंभ करो अब तो प्यार।
स्वतंत्रता आज के समय में आवश्यक है, पूर्ण विकास के लिए यह परम् जरूरी है। स्वतंत्रता आज के समय में आवश्यक है, पूर्ण विकास के लिए यह परम् जरूरी है।
कभी तो मेरे भी दिन आयेंगे शायद मैं भी लिख पाऊंगी कभी तो मेरे भी दिन आयेंगे शायद मैं भी लिख पाऊंगी
राम के नाम का है सहारा मुझे, राम ने है दिया बस किनारा मुझे। राम के नाम का है सहारा मुझे, राम ने है दिया बस किनारा मुझे।
रिश्तों की डोर को करो मजबूत समझाओ कम समझो अधिक। रिश्तों की डोर को करो मजबूत समझाओ कम समझो अधिक।
बाबर से अंग्रेजों तक के, इतिहास से एक सबक जगाना है। फिर न होंगे गुलाम, बाबर से अंग्रेजों तक के, इतिहास से एक सबक जगाना है। फिर न होंगे गुलाम,
सिर्फ मखमली गीतों में ही न गुनगुनाएं इसका आगाज शहीदों के अंजाम से हुआ है। सिर्फ मखमली गीतों में ही न गुनगुनाएं इसका आगाज शहीदों के अंजाम से हुआ है।
और आज तो अश्रु संग, जब चले गए अनन्त यात्रा पर।। और आज तो अश्रु संग, जब चले गए अनन्त यात्रा पर।।
कदमों के चाल को स्वतंत्र छोड़, सोच की गति को स्वतंत्र छोड़। कदमों के चाल को स्वतंत्र छोड़, सोच की गति को स्वतंत्र छोड़।
हे इष्ट ! पालनहार प्रभु जग के हर संताप दूर करों।। हे इष्ट ! पालनहार प्रभु जग के हर संताप दूर करों।।