बेटी
बेटी
सबसे प्यारा ख्वाब है बेटी,
जिसके साथ हो हर दिन त्योहार वो उपहार है बेटी।।
पापा की लाडली है बेटी,
माँ की छवि है बेटी।।
श्री कृष्ण का जो मान हो वो चारूमती है बेटी ,
जगत जननी पार्वती का जो शोक हरे वो अशोक सुंदरी है बेटी ।।
भार्गवी नाम से समृद्धि लाती है बेटी
जानकी बार मिथिला का कण - कण खिलाती है बेटी ।
जब गोपेश्वरी राधिका वृषभानु के अंगना में बेटी बन आई थी
स्वयं नारद और भ्रमा को घर लाई थी ।।
धृति, तुष्टि, पुष्टि, स्मृति कृति है बेटी,
ऋद्धि सिद्धि का साक्षात रूप है बेटी।।
गंगा बन जगत कल्याण हेतु पीहर छोड़ जाती है बेटी,
शतरूपा बन मनुष्य जीवन का संचार करती है बेटी ।।
समुद्र की सूता से हर सुख सम्पत्ति है,
पर्वत की नंदिनी से जगत की शक्ति है ।।
सत्यभामा से सत्राजित और रुक्मिणी से भिशमक की पहचान है ।
द्रौपदी के कारण आज जगत में द्रुपद का नाम है ।।
जब देव मुस्कुराते है तब पुत्री का आशीर्वाद दे जाते हैं
संपति सद्बुद्धि शक्ति तीनों का सौभाग्य पाते हैं।