Satish Verma RJ Chokha
Drama Tragedy
कहां छुपाऊं
बेटी को,
इन्सानो में
अब शैतान रहते हैं...!
हैवानियत
बेटी
हे कृष्णा, अंधा क्या चाहे, दो आँखे l तुमने मुझे अपनाया, ये तेरा उपकार है ll हे कृष्णा, अंधा क्या चाहे, दो आँखे l तुमने मुझे अपनाया, ये तेरा उपकार है ll
मधुर मिलनकी पल है "मुरली" क्यूँ तुम प्यास नहीं बुझाती हो ? मधुर मिलनकी पल है "मुरली" क्यूँ तुम प्यास नहीं बुझाती हो ?
शायद मेरा फूलों से रिश्ता सिर्फ नज्म तक नहीं और भी गहरा है। शायद मेरा फूलों से रिश्ता सिर्फ नज्म तक नहीं और भी गहरा है।
आंखों में आंसू बहाके, ढूँढ़ती हूँ मैं तुझे वन में। आंखों में आंसू बहाके, ढूँढ़ती हूँ मैं तुझे वन में।
गर मैं लौट आया तेरे दर पर तो सजा देना। गर मैं लौट आया तेरे दर पर तो सजा देना।
ना समंदर का किनारा था ना बगीचों का सहारा था.. घर पर ही डर के मारे इंसानों का बसेरा था. ना समंदर का किनारा था ना बगीचों का सहारा था.. घर पर ही डर के मारे इंसानों का ...
विघ्नों कि चाहे झड़ी लगे पर उनका प्रणय होता है।।। विघ्नों कि चाहे झड़ी लगे पर उनका प्रणय होता है।।।
देख न तो एक बार मुझे ये चूड़ी कितनी प्यारी रे, चूड़ी क्या ये हंसी ये आंसू सब कुछ तुझ पर देख न तो एक बार मुझे ये चूड़ी कितनी प्यारी रे, चूड़ी क्या ये हंसी ये आंसू सब कु...
यहाँ दौलत के भूखे भेड़िये सब नोच खाते हैं। गला लाचार इंसा का मरोड़ा है ज़माने ने। यहाँ दौलत के भूखे भेड़िये सब नोच खाते हैं। गला लाचार इंसा का मरोड़ा है ज़माने ने...
जिजा अहिल्या झांसी जैसी शूर विरांगना हूं....! जिजा अहिल्या झांसी जैसी शूर विरांगना हूं....!
अपना हक, ही तो मांगा है, ज्यादा नहीं, जी मेरा है, उतना हक ही तो मांगा है।। अपना हक, ही तो मांगा है, ज्यादा नहीं, जी मेरा है, उतना हक ही तो मांगा ह...
तुझको बारम्बार प्रणाम तुझसे बनी,सृष्टि अनुपम। तुझको बारम्बार प्रणाम तुझसे बनी,सृष्टि अनुपम।
प्रेम ह्रदय की चेतना,जीवन का है सार प्रेम बिना होता नही ,मानव का उद्धार। प्रेम ह्रदय की चेतना,जीवन का है सार प्रेम बिना होता नही ,मानव का उद्धार।
काश यह आतश इन कश्तियों में रख पाती काश बिंदिया माथे पर सज पाती। काश यह आतश इन कश्तियों में रख पाती काश बिंदिया माथे पर सज पाती।
बूंद-बूंद बारिश सी, टीप-टीप टपकती ज़िन्दगी। बूंद-बूंद बारिश सी, टीप-टीप टपकती ज़िन्दगी।
लालच होती बहुत बुरी बला है छोड़ दे, ईमानदारी ही निर्जला है लालच होती बहुत बुरी बला है छोड़ दे, ईमानदारी ही निर्जला है
दीवारें घूमी कुछ आकर बोली मैंने सुना था दीवारें घूमी कुछ आकर बोली मैंने सुना था
उतरा कितने ग़म के सागर, फिर भी ना पाता थाह तेरी। उतरा कितने ग़म के सागर, फिर भी ना पाता थाह तेरी।
झूठ का है बोलबाला और सत्य बस घुट घुट कर जीता रहा, अब बस और नहीं, चुप्पी अब और नहीं झूठ का है बोलबाला और सत्य बस घुट घुट कर जीता रहा, अब बस और नहीं, चुप्पी ...
उन लम्हों से अब कहाँ होती है, अब बात कहाँ होती है .... उन लम्हों से अब कहाँ होती है, अब बात कहाँ होती है ....