Pratibha Bhatt

Inspirational

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Pratibha Bhatt

Inspirational

बेशर्त प्रेम

बेशर्त प्रेम

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प्रेम की मूर्ति का,

असली पर्याय,

मां को जब,

 ईश्वर ने बनाया,

वो अव्यक्त भावनाएं जो,

ईश्वर कह नहीं पाया,

मां के माध्यम से कह दी, 

कितनी रातें काट देती है,

मां जागकर मुझे,

सुलाने की खातिर,

बैचेन होकर,

रात में उठ कर,

देखती सिराहने फिर,

तकिया रख देती,

लोरी में जिसके,

सारा जहान,

और चांद सितारें,

हाथी, भालू और,

परियों की कहानी,

एक था राजा और,

एक थी रानी,

माथे को बार - बार चूमती,

जाग जाऊं तो,

थपकी देकर सुलाती,

अपनी चादर में,

मुझे लपेट लेती,

मां ने जानें कितनी रातें,

मेरे जन्म से लेकर आज बड़े,

होने तक में बिता दी,

समय बदला,

शहर बदला

दुनियां बदली,

जहां बदला,

पर मां का प्रेम,

जैसा ज्यों का त्यों रहा ,

निस्वार्थ और बेशर्त .....!!



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